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गुरु नानक
गुरु नानक
प्रकाशक :
इंडिया बुक हाउस |
प्रकाशित वर्ष : 2006 |
पृष्ठ :32
मुखपृष्ठ :
पेपरबैक
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पुस्तक क्रमांक : 4979
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आईएसबीएन :81-7508-489-8 |
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गुरु नानक की वाणी....
Gurunanak -A Hindi Book by Anant Pai - गुरु नानक - अनन्त पई
प्रस्तुत हैं पुस्तक के कुछ अंश
सिख सम्प्रदाय के संस्थापक, गुरुनानक का जन्म ऐसे समय में हुआ था। जब भारत संकट से गुजर रहा था। एक ओर तो जनता जात-पाँत और वर्गों की भेद-भावना से आक्रांत थी। जो दूसरी ओर मुश्लिम शासन हिन्दुओं तथा समाज के निर्बल वर्गों पर अत्याचार कर रहे थे। ऐसे कठिन और आपत्तिकाल में जनता को किस प्रभावशाली पथ-प्रदर्शक की आवश्यकता थी। उस आवश्यकता को पूरा करने के लिए गुरुनानक भगवान का सन्देश लेकर अवतरित हुए।
गुरु नानक का काल संक्रमण का काल था। देश मध्यकालीन धारणाओं से आधुनिकता की ओर अग्रसर हो रहा था।। कर्मठ तथा बौद्धिक व्यक्ति भौतिकता एवं आध्यात्मिकता का मंथन कर रहे थे। गुरुनानक ने मानव की आध्यात्मिक शक्ति को उजागर किया। साथ ही जीवन की कठिनाइयों और संघर्षों को ध्यान में रखकर उन्होंने सामाजिक तथा धार्मिक सुधार के आन्दोलन को बल दिया। सुधार के लिए उन्होंने अपने व्यक्तिगत आचरण में आदर्श प्रस्तुत किया और तर्क तथा विवेक द्वारा विश्वास पैदा करने का उपाय अपनाया। भगवान में आस्था रखने वाले नर-नारी जन सेवा का व्रत लेकर उनके अनुयायी बने और वे सिख कहलाये। गुरुनानक ने आचरण के कुछ साधारण नियमों की स्थापना की जिनका पालन कर के मनुष्य सार्थक तथा परिपूर्ण जीवन व्यतीत कर सके । उनके भक्तों में हिन्दू और मुसलमान दोनों थे। गुरु नानक का जीवन आज भी सत्य, प्रेम तथा विनयशीलता के जीवन की प्रेरणा देता है।
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